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Jharkhand Special

संथाल हूल के शिल्पकार साम परगना

आदिवासी हितों की हिफ़ाज़त : गवर्नर की चाहत... !

बिरसा मुंडा : अधूरे सपनों का देस

 भले इतिहास में भारत की आजादी की पहली लड़ाई 1857 के सिपाही गदर के रूप में दर्ज़ है लेकिन देश के आदिवासियों के लिए आजादी की पहली लड़ाई संथाल हूल है। इतिहास में संथाल हूल के चाणक्य साम परगना को वो मान्यता नहीँ दी गयी जिसके वे हकदार थे। सिद्धू-कानू , चांद -भैरव  संथाल हूल के नायक और नेतृत्वकर्ता थे तो साम परगना इस लड़ाई की रणनीति बनाने वाले चाणक्य थे। 78 वीं स्वतंत्रता दिवस पर Panchayat Observer की विशेष पेशकश...  

बिरसा मुंडा : अधूरे सपनों का देस

आदिवासी हितों की हिफ़ाज़त : गवर्नर की चाहत... !

बिरसा मुंडा : अधूरे सपनों का देस

 बिरसा मुंडा के सपनों का झारखंड बनाने की दावेदारी हर सरकार की रही है। बिरसा झारखंड में राजनीति करने वाले सभी राजनीतिक दलों के लिए एक ब्रांड है। बिरसा का गुणगान कर सभी  राजनीतिक दल और सरकारें अपना आदिवासी और मूलवासी विरोधी चेहरा छुपाने कि नाकाम कोशिश करते हैं। बिरसा मुंडा कि शहादत दिवस पर विशेष..   

आदिवासी हितों की हिफ़ाज़त : गवर्नर की चाहत... !

आदिवासी हितों की हिफ़ाज़त : गवर्नर की चाहत... !

ST-SC आरक्षण में 'कोटे के अंदर कोटा'-सुप्रीम कोर्ट

 महाराष्ट्र के गवर्नर ने दिखा दिया है कि यदि इच्छा शक्ति हो तो पाँचवीं अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासियों के हितों की हिफाजत के लिए नियमावली बना भी सकते हैं और लागू भी करवा सकते हैं। देश के 10 अनुसूचित राज्यं में सिर्फ महाराष्ट्र के गवर्नर ने ही संविधान में प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग किया और राज्य में आदिवासियों और ट्राइबल गावों कि तस्वीर बदल दी।  

ST-SC आरक्षण में 'कोटे के अंदर कोटा'-सुप्रीम कोर्ट

ST-SC आरक्षण में 'कोटे के अंदर कोटा'-सुप्रीम कोर्ट

ST-SC आरक्षण में 'कोटे के अंदर कोटा'-सुप्रीम कोर्ट

 राजनीति और रोजगार में जब भी जनजातीय समुदायों की बात होती है तो संथाल, मुंडा, हो, उराँव और खड़िया के आगे और जनजातीय समुदायों का प्रतिनिधित्व देखना मुश्किल होता है। अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित नौकरियों या आरक्षित विधान सभा और लोक सभा सीटों में इन्हीं पाँच समुदायों कि हिस्सेदारी होती है। राज्य में कुल 32 जनजातीय समुदाय है लेकिन 27 समुदाय अनुसूचित जनजातियों में सबसे पिछड़े हैं और उन्हें सामाजिक और आर्थिक लाभ नहीं मिल पाता है।     

YouTube अस्पताल: इलाज़ भगवान भरोसे...

ST-SC आरक्षण में 'कोटे के अंदर कोटा'-सुप्रीम कोर्ट

पेसा नियमावली गाँव की संवैधानिकता को मान्यता

 लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते राज्य में झोलछाप डाक्टरों का YouTube अस्पताल का कारोबार फल-फूल रहा है। राज्य में दर्जनों की संख्या में अवैध नर्सिंग होम संचालित हो रहे है।  बिना डिग्रीधारी झोलाछाप सिजेरियन समेत अन्य ऑपरेशन यूट्यूब के माध्यम से कर रहे है। मामले कि जानकारी तब होती है जब इलाज़ के दौरान मरीज की मौत हो जाती है। चतरा में मामले को गंभीरता से लेते हुए उपायुक्त के निर्देश पर छापेमारी दल का गठन कर अस्पतालों को सील किया गया तथा फ़र्जी डाक्टरों को गिरफ्तार किया गया।  

पेसा नियमावली गाँव की संवैधानिकता को मान्यता

ST-SC आरक्षण में 'कोटे के अंदर कोटा'-सुप्रीम कोर्ट

पेसा नियमावली गाँव की संवैधानिकता को मान्यता

 झारखंड में पेसा को लागू करने की कवायद तेज हो गयी है। पेसा नियमावली के ड्राफ्ट को अंतिम rरूप  दिया जा रहा है। संभावना है कि विधान सभा चुनाव की घोषणा के ठीक पहले सरकार पेसा नियमावली को लागू कर देगी।  

जनादेश 2024: आदिवासियों को 'इंडिया' पसंद है

अबुआ आवास में गड़बड़ी: चोरी भी, सीनाज़ोरी भी ... Corruption in Abua Awaas

अबुआ आवास में गड़बड़ी: चोरी भी, सीनाज़ोरी भी ... Corruption in Abua Awaas

 झारखण्ड के सभी आदिवासी आरक्षित लोक सभा सीटों पर इंडिया अलायन्स को सफलता मिली है. सिंहभूम, खूंटी, लोहरदगा, दुमका और राजमहल लोक सभा मे मतदाताओं ने एन डी ए को नकार दिया है. आदिवासियों की नाराजगी के कारण क्या हैं? 

अबुआ आवास में गड़बड़ी: चोरी भी, सीनाज़ोरी भी ... Corruption in Abua Awaas

अबुआ आवास में गड़बड़ी: चोरी भी, सीनाज़ोरी भी ... Corruption in Abua Awaas

अबुआ आवास में गड़बड़ी: चोरी भी, सीनाज़ोरी भी ... Corruption in Abua Awaas

 झारखंड के गरीब तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के ऐसे लोग जिनके पास अपना स्वयं का पक्का घर नहीं है या फिर वह बेघर है, उनके लिए झारखण्ड अबुआ आवास योजना के तहत 3 कमरों वाला पक्का आवास उपलब्ध कराने का प्रावधान है।लेकिन भ्रस्टाचार के आगे यह योजना अपने मकसद में विफल हो रही है। इतना ही नहीं गड़बाड़ी उजागर करने पर उलटे उजागर करने वालों को ही मुकदमे में फंसा दिया गया। आज के विशेष में ... चोरी भी, सीनाज़ोरी भी।  

प्रेमचंद प्रासंगिक हैं क्योंकि सिस्टम फ़ेल है ... !

अबुआ आवास में गड़बड़ी: चोरी भी, सीनाज़ोरी भी ... Corruption in Abua Awaas

प्रेमचंद प्रासंगिक हैं क्योंकि सिस्टम फ़ेल है ... !

 प्रेमचंद जयंती पर इस बात को ईमानदारी से स्वीकार करनी चाहिए कि उन्होंने जिन मुद्दों , जिन स्थितियों पर साहित्य रचा, वे मुद्दे अब भी मौज़ू है। भले ही प्रेमचंद के किरदार तकरीबन सौ बरस पहले गढ़े गए हों लेकिन इस दौरान ये बिल्कुल भी फीके और कमज़ोर नहीं पड़े हैं बल्कि और भी सशक्त होकर हमसे सवाल करते हैं- आखिर इतने बरसों में क्या बदला? 

(पंचम दा .. अगर तुम न होते )

डॉ रमेश शरण: आम आदमी के अर्थशास्त्री

प्रेमचंद प्रासंगिक हैं क्योंकि सिस्टम फ़ेल है ... !

 महान भारतीय फिल्म संगीतकारों की श्रेणी में राहुल देव बर्मन का नाम सबसे अलग है। भले ही आरडी बर्मन (उर्फ पंचम) को गुजरे हुए तीन दशक हो गए हों, लेकिन उनका संगीत आज भी संगीतकारों और संगीत प्रेमियों की कल्पना को मोहित करता है। उनके संगीत की व्यापकता, न केवल लोक और शास्त्रीय संगीत को आधुनिक श्रोताओं के लिए सुलभ बनाने की अद्वितीय क्षमता के साथ जुड़ी हुई है, बल्कि युवा श्रोताओं के लिए उन्हें एक मूल, फिर भी समकालीन तरीके से प्रस्तुत करती है, जो एक गेम चेंजर था और आज भी है। 

डॉ रमेश शरण: आम आदमी के अर्थशास्त्री

डॉ रमेश शरण: आम आदमी के अर्थशास्त्री

डॉ रमेश शरण: आम आदमी के अर्थशास्त्री

जॉर्ज ऑरवेल 1984: 2+2=5

डॉ रमेश शरण: आम आदमी के अर्थशास्त्री

डॉ रमेश शरण: आम आदमी के अर्थशास्त्री

 आज जॉर्ज ऑरवेल की जन्म तिथि है। बिहार के मोतीहारी में पैदा हुए जॉर्ज ऑरवेल के उपन्यास 1984 में मुझे विशेष रूप से यह जानने में दिलचस्पी है कि यह हमारी वर्तमान समय-समाज और राजव्यवस्था पर कैसे लागू हो रहा है, यह महज संयोग है कि जब हम जॉर्ज ऑरवेल पर बात कर रहे हैं तो नागरिक आधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता को खतम करने के साथ जुड़े आपातकाल की 50 वीं वर्षगांठ पर भी ध्यान जा रहा है।  यह सही है कि प्रत्यक्ष अधिनायकवाद की संभावना बहुत कम है, लेकिन सूक्ष्म या छिपे हुए रूप हमारी जानकारी के बिना ही हमारी व्यक्तिगत और सामाजिक दुनिया में घुस चुके हैं।  

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